जीवन की सभी परिस्थितियों की व्यवस्था हमें यह सिखाने के लिए की गयी है कि मन से परे, भागवत कृपा में विश्वास ही हमें सभी परीक्षाओं में उतीर्ण होने, सभी दुर्बलताओं पर विजय प्राप्त करने तथा दिव्य चेतना के साथ संपर्क स्थापित करने की शक्ति प्रदान करता है, उस दिव्य चेतना के साथ जो हमें केवल शांति और आनंद ही नहीं बल्कि शारीरिक संतुलन एवं अच्छा स्वास्थ भी प्रदान करती हैं ।
संदर्भ : विचार और सूत्र के प्रसंग में
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…