श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

भागवत कृपा पर श्रद्धा

अगर व्यक्ति के अन्दर भागवत कृपा पर श्रद्धा है कि भागवत कृपा उस पर नजर रखे हुए है और चाहे कुछ क्यों न हो जाये, भागवत कृपा तो है ही, उसकी निगरानी कर रही है, व्यक्ति इसे हमेशा सारे जीवन रख सकता है और यह हो तो सभी खतरों में से गुजर सकता है, सब प्रकार की कठिनाइयों का सामना कर सकता है और कोई उसका बाल भी बांका न कर सकेगा, क्योंकि उसे श्रद्धा है और भागवत कृपा उसके साथ है। यह अनन्तगुना शक्तिशाली, अधिक सचेतन, और अधिक स्थायी शक्ति है जो तुम्हारे शारीरिक गठन की अवस्था पर निर्भर नहीं होती, जो भागवत कृपा के सिवा किसी और पर निर्भर नहीं होती और इसलिए सत्य का सहारा लिये रहती है और कोई चीज उसे हिला नहीं सकती।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवती माँ की कृपा

तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…

% दिन पहले

श्रीमाँ का कार्य

भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…

% दिन पहले

भगवान की आशा

मधुर माँ, स्त्रष्टा ने इस जगत और मानवजाति की रचना क्यों की है? क्या वह…

% दिन पहले

जीवन का उद्देश्य

अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…

% दिन पहले

दुश्मन को खदेड़ना

दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…

% दिन पहले

आलोचना की आदत

आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…

% दिन पहले