कृपया बतलाइये कि मैं अपने अतीत से कैसे पिण्ड छुड़ा सकता हूँ, जो इतने जोर से चिपका रहता है ।
अतीत से पिण्ड छुड़ाना इतना कठिन काम है कि वह लगभग असम्भव मालूम होता है।
लेकिन अगर तुम बिना कुछ बचाये हुए अपने-आपको पूरी तरह भविष्य को सौंप दो और अगर यह सौंपना हमेशा नया होता रहे तो अतीत अपने-आप झड़ जायेगा और तुम्हारे लिए भार न बनेगा ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…