भगवान की इच्छा


महायोगी महर्षि श्रीअरविंद का चित्र

तुम्हें बस शान्त-स्थिर और अपने पथ का अनुसरण करने में दृढ़ बनें रहना है और तुम अन्त तक पहुँच जाओगे। यदि तुम ऐसा करो तो परिस्थितियाँ अन्त में तुम्हारी इच्छा के अनुसार रूप ग्रहण करने को बाध्य होंगी, क्योंकि तब वह इच्छा तुम्हारे अंदर भगवान की इच्छा होगी ।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र


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