भगवान की अभिव्यक्ति


श्रीअरविंद आश्रम की श्री माँ काली पुजा के दौरान

भगवान स्वयं मार्ग पर चल कर मनुष्यों को राह दिखाने के लिए मनुष्य का रूप धारण करते हैं और बाहरी मानव-प्रकृति को स्वीकार करते हैं। पर इससे उनका ‘भगवान’ होना समाप्त नहीं हो जाता। यह एक अभिव्यक्ति होती है, बढ़ती हुई भागवत चेतना अपने-आपको प्रकट करती है। यह मनुष्य का भगवान में बदल जाना नहीं है।

संदर्भ : प्रार्थना और ध्यान 


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