भगवान का प्रेम


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

झूठे गर्व से बच कर रहो – वह केवल विनाश की ओर ले जाता है ।  और भगवान के प्रेम को छोटा न समझो क्योंकि उसके बिना ऐसी कोई चीज़ नहीं है जिसके लिए जिया  जाये ।

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)


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