श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

बुढ़ापा और मृत्यु

केवल वही वर्ष जो व्यर्थ में गुजरते हैं, तुम्हें बूढ़ा बना देते हैं ।

वह वर्ष व्यर्थ जाता है जिसमें कोई प्रगति नहीं होती, चेतना की कोई वृद्धि नहीं होती, पूर्णता की ओर कोई पग नहीं उठाया जाता ।

अपना जीवन किसी उच्चतर और बृहत्तर चीज़ की उपलब्धि की ओर निवेदित कर दो तो तुम्हें कभी गुजरते हुए वर्षों का भार अनुभव न होगा ।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)

शेयर कीजिये

नए आलेख

मिथ्यात्व क्या है

जब एक बार चेतनाएं एकाकी चेतना से पृथक् हो गयीं तब अवश्यम्भावी रूप से वे…

% दिन पहले

अवसाद

माताजी, पता नहीं क्यों, दो-तीन दिन से मैं कुछ उदास हैं। माताजी, कभी-कभी जब मैं…

% दिन पहले

ड़र दूर करने का सरल उपाय

जब ड़र लगे तब व्यक्ति को क्या करना चाहिये ? यह इस पर निर्भर करता…

% दिन पहले

अहंकार से छुटकारा

अपने अहंकार को निकाल फेंकना, उसे एक रद्दी कपड़े की तरह गिरा देना। इसके लिए…

% दिन पहले

खोज की प्रमुख शक्ति

जो कुछ मनुष्य सच्चाई के साथ और निरंतर भगवान् से चाहता है, उसे भगवान् अवश्य…

% दिन पहले

अपनों पर आश्रित लोगों से व्यवहार

जो लोग अपनी आजीविका के लिए तुम पर निर्भर हैं उनके साथ तुम्हें बहुत शिष्ट…

% दिन पहले