किसी अन्य मनुष्य के प्रभाव के प्रति खुले रहना हमेशा दुखद होता है। तुम्हें भगवान के सिवा और किसी के प्रभाव को अपने अन्दर न आने देना चाहिये ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
किसी अन्य मनुष्य के प्रभाव के प्रति खुले रहना हमेशा दुखद होता है। तुम्हें भगवान के सिवा और किसी के प्रभाव को अपने अन्दर न आने देना चाहिये ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
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