दूसरे व्यक्ति के साथ बात करके अवसन्न हो जाना किसी व्यक्ति के लिये बिलकुल संभव है। बातचीत करनेका अर्थ है एक प्रकार का प्राणिक आदान-प्रदान, सो ऐसा सदा घटित हो सकता है। आया एक विशेष प्रसंग में उन्होंने ठीक-ठीक निरीक्षण किया है या नहीं यह दूसरा विषय है।
सन्दर्भ : श्रीअरविन्द के पत्र (भाग-२)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…