श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

बच्चों को डांट नहीं

बच्चे को कभी डाँटना-फटकारना नहीं चाहिये। माता-पिताओं की बुराई करने के लिए मुझे दोष दिया जाता है ! परन्तु मैंने उन्हें यह करते हुए देखा है, और हाँ, मैं जानती हूँ कि नब्बे प्रतिशत माता-पिता उस बच्चे को डाँटते-फटकारते हैं जो अपने-आप कोई भूल स्वीकार करने के लिए आता है; वे बच्चे की बात धैर्यपूर्वक सुनने के बजाय और उसे यह समझाने के बजाय कि उसका दोष क्या है और उसे कैसे कार्य करना चाहिये, कहते हैं : “तुम बड़े दुष्ट हो, चले जाओ, मुझे अभी फुरसत नहीं।” और बच्चा, जो कि अच्छी भावना के साथ आया था, बिलकुल आहत होकर लौट जाता है और यह भावना लेकर जाता है कि “भला मेरे साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया गया?” तब बच्चा यह देखता है कि मेरे माता-पिता पूर्ण नहीं हैं-और यह बात स्पष्ट ही आज उनके विषय में सही है-वह देखता है कि वे ग़लत हैं और वह अपने-आपसे कहता है : “वे मुझे क्यों डाँटते हैं, वे भी तो मेरे जैसे ही हैं!”

संदर्भ : प्रश्न और उत्तर (१९५०-१९५१)

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवती माँ की कृपा

तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…

% दिन पहले

श्रीमाँ का कार्य

भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…

% दिन पहले

भगवान की आशा

मधुर माँ, स्त्रष्टा ने इस जगत और मानवजाति की रचना क्यों की है? क्या वह…

% दिन पहले

जीवन का उद्देश्य

अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…

% दिन पहले

दुश्मन को खदेड़ना

दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…

% दिन पहले

आलोचना की आदत

आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…

% दिन पहले