प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है जब वह भगवान की ओर अभिमुख हो । जब तक वह मनुष्यों में संतोष की खोज करती है तब तक हमेशा निराश या आहत होती है ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है जब वह भगवान की ओर अभिमुख हो । जब तक वह मनुष्यों में संतोष की खोज करती है तब तक हमेशा निराश या आहत होती है ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
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