प्रेम सबके साथ है, प्रत्येक की प्रगति के लिये समान रूप से कार्य कर रहा है-लेकिन विजय उन्ही में पाता है जो उसकी परवाह करते हैं ।
प्रेम,
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
प्रेम सबके साथ है, प्रत्येक की प्रगति के लिये समान रूप से कार्य कर रहा है-लेकिन विजय उन्ही में पाता है जो उसकी परवाह करते हैं ।
प्रेम,
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
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