प्रशंसा


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

जब तुम अपने-आपको किसी नि:स्वार्थ कार्य की परिपूर्णता के लिये सौंप देते हो तो कभी सामान्य लोगों से प्रशंसा या सहायता की आशा न करो। इसके विपरीत, वे हमेशा तुम्हारें विरुद्ध लड़ेंगे, तुमसे घृणा करेंगे और तुम्हें बुरा-भला कहेंगे।

परंतु भगवान हमेशा तुम्हारें साथ होंगे ।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)


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