२६ नवम्बर १९२६ को श्रीअरविंद ने अपने कक्ष में एकांतवास आरंभ कर दिया। इसके बाद वे आरंभ में वर्ष में केवल तीन बार और बाद में वर्ष में चार बार शिष्यों को दर्शन देते थे। दर्शन के समय उनकी सूर्योद्भासित शैल-शिखर के समान देदीप्यमान मुख मुद्रा, गंभीर होती थी ।

दक्षिण भारत के एक प्रसिद्ध राजवंश के राजा शंकर गौड़ ने श्रीअरविंद को गुरु रूप में स्वीकार किया। उन्होने सम्पूर्ण आत्म-समर्पण कर दिया और आश्रम के अन्य साधकों की तरह तपस्वी जीवन अपनाया। शंकर गौड़ ने श्रीमाँ की मुस्कान देखी थी, उनकी भुवन मोहिनी हंसी सुनी थी, किन्तु उन्होने कभी श्रीअरविंद को मुस्कुराते हुए नहीं देखा था। उनके हृदय में एक ही कामना, एक ही अभीप्सा थी कि वे किसी प्रकार बस एक बार श्रीअरविंद की मुस्कान देख सकें तो उनका जीवन धन्य हो जाएगा, उनकी साधना सफल हो जाएगी। धीरे-धीरे उनके हृदय में यह अभीप्सा बलवती होती गई। उन्होने महीनों क्या, वर्षों तक, मन-ही-मन प्रभु से प्रार्थना की, “मैं सिद्धि नहीं चाहता , मुझे अतिमानस भी नहीं चाहिए। मुझे केवल अपनी मुस्कान दिखा दीजिये। हे करुणामय, मुझे केवल एक बार अपनी मुस्कान के दर्शन करा दीजिए।”

वर्षों बीत गए। एक बार दर्शन दिवस पर शंकर ने श्रीअरविंद और श्रीमाँ को प्रणाम किया। महान आश्चर्य ! श्रीअरविंद मुक्त भाव से मुसकाए। शंकर मन्त्र्मुघ और सम्मोहित-से खड़े रह गए। उनकी सच्ची अभीप्सा पूरी हुई । उनके पीछे जीतने शिष्य पंक्ति में खड़े थे और श्रीअरविंद को देख सकते थे, उन्हें भी श्रीअरविंद की मुस्कान देखने का यह दुर्लभ सौभाग्य प्राप्त हुआ ।

(यह कथा स्वर्गीय श्री शंकर गौड़ ने श्री कैलाश को सुनाई थी)

संदर्भ : श्रीअरविंद और श्रीमाँ की दिव्य लीला 

शेयर कीजिये

नए आलेख

उदार विचार

मैंने अभी कहा था कि हम अपने बारे में बड़े उदार विचार रखते हैं और…

% दिन पहले

शुद्धि मुक्ति की शर्त है

शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…

% दिन पहले

श्रीअरविंद का प्रकाश

मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…

% दिन पहले

भक्तिमार्ग का प्रथम पग

...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…

% दिन पहले

क्या होगा

एक परम चेतना है जो अभिव्यक्ति पर शासन करती हैं। निश्चय ही उसकी बुद्धि हमारी…

% दिन पहले

प्रगति का अंदाज़

मधुर मां, हम यह कैसे जान सकते हैं कि हम व्यक्तिगत और सामुदायिक रूप में…

% दिन पहले