प्रगतिशील बनों


श्रीअरविंद और श्री माँ

कोई संस्था प्रगतिशील हुए बिना जीवित नहीं रह सकती।

सच्ची प्रगति है हमेशा भगवान् के अधिक निकट आना।

हर गुजरता हुआ वर्ष पूर्णता की ओर नयी प्रगति की पहचान होना चाहिये ।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग – ३)


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