अगर मन चंचल हों तो योग की नींव डालना संभव नही । सबसे पहले यह आवश्यक है कि मन अचंचल हो । और व्यक्तिगत चेतना का लय कर देना भी इस योग का प्रथम उद्देश्य नही है, बल्कि प्रथम उद्देश्य है व्यक्तिगत चेतना को एक उच्चतर आध्यात्मिक चेतना की ओर खोल देना और इसके लिये भी जिस बात की सबसे पहले आवश्यकता हैं वह है मन की अचंचलता ।
सन्दर्भ : श्रीअरविंद के पत्र (भाग-२)
"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…