पवित्रता


महायोगी महर्षि श्रीअरविंद

जो जीव नग्न और लज्जाविहीन होता है केवल वही पवित्र और निर्दोष हो सकता है, ठीक जैसे कि मानवता के आदिम बगीचे में आदम था।

संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली


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