जब भी कोई हार जाने वाला सुझाव हो – चाहे एक स्पंदन, एक विचार या और कुछ भी – तुम निश्चित जानना वह “शैतान” का ही है ।
संदर्भ : श्रीमाँ का एजेंडा (भाग-१)
भगवान को अभिव्यक्त करने वाली किसी भी चीज को मान्यता देने में लोग इतने अनिच्छुक…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिसमें…
मनुष्य-जीवन के अधिकांश भाग की कृत्रिमता ही उसकी अनेक बुद्धमूल व्याधियों का कारण है, वह…
श्रीअरविंद हमसे कहते हैं कि सभी परिस्थितियों में प्रेम को विकीरत करते रहना ही देवत्व…