भगवान् के बाहर सब कुछ मिथ्या, भ्रान्ति और दुःखपूर्ण अंधकार है। भगवान् में हैं जीवन, प्रकाश और आनन्द । भगवान् के अन्दर ही परम शान्ति है।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)

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