मनुष्य जो कुछ थोड़ा-बहुत जानता है, उसे जीवन में उतारना ही अधिक जानने का सबसे उत्तम तरीका है, यह पथ पर आगे बढ़ने के सबसे अधिक शक्तिशाली उपाय है – बस, थोड़ा-सा जीवन में लाने का प्रयत्न हों, पर हों बहुत सच्चा। उदाहरणार्थ, जब तुम जानते हों कि अमुक चीज करने लायक नहीं है, बस, उसे नहीं करना चाहिये। जब तुम अपने अंदर एक दुर्बलता, एक अशक्तता देख लेते हों तो फिर उसे दुबारा प्रकट नहीं होने देना चाहिये । जब तुम्हें , किसी तीव्र अभिप्सा के होने पर इस बात की झलक मिल जाती है कि क्या होना चाहिये, भले ही वह एक क्षण के लिये ही मिली हों, तो फिर उसे जीवन में सिद्ध करना भूलना नहीं चाहिये – कभी भी भूलना नहीं चाहिये ।
संदर्भ : विचार और सूत्र के प्रसंग में
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…