. . . तुम्हें कभी हताश नहीं होना चाहिये । या अगर तुम बहुत बार भूल कर चुके हो तो भी तुम्हें कभी भूल न करने की इच्छा रखनी चाहिये ; और तुम्हें इस बात का पक्का विश्वास होना चाहिये कि अगर तुम अपने संकल्प पर डटे रहो, तो एक-न-एक दिन तुम कठिनाई पर विजय प्राप्त कर लोगे।
संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९५४
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…