मेरा वर्तमान जीवन अनुशासनरहित है, हालांकि मैं सोचता हूँ कि वह अचंचल है । क्या आप चाहेंगी कि यह कुछ अधिक नियमित हो ?
तुम्हें अपनी भौतिक चेतना को अंदर से अनुशासित करना चाहिये और अंदर से ही तुम्हारे भौतिक जीवन के लिए व्यवस्था भी आयेगी।
संदर्भ : शांति दोशी के साथ
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…