लोग अपनी नियति के बारे में रोते-धोते रहते हैं और अनुभव करते हैं कि अगर अन्य लोग और चीजें बदल जायें तो उनकी कठिनाइयां और दुःखद प्रतिक्रियाएं दूर हो जायेंगी। क्या आप इस अनुभव के प्रति मेरी शंका से सहमत हैं?
हर एक अपने-आप अपने दुःखों का शिल्पी होता है।
सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…