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नियति के बारें में रोना धोना

लोग अपनी नियति के बारे में रोते-धोते रहते हैं और अनुभव करते हैं कि अगर अन्य लोग और चीजें बदल जायें तो उनकी कठिनाइयां और दुःखद प्रतिक्रियाएं दूर हो जायेंगी। क्या आप इस अनुभव के प्रति मेरी शंका से सहमत हैं?

हर एक अपने-आप अपने दुःखों का शिल्पी होता है।

सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-२) 

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