मधुर माँ,
यहाँ अपने कमरे में बैठ कर ध्यान करने और सबके साथ खेल के मैदान में ध्यान के लिए जाने में क्या फर्क है ? वहाँ जाकर ध्यान करने और अपने कमरे में ध्यान करने में से कौन-सा ज़्यादा अच्छा है ?
वही बैठ कर ध्यान करो जहां तुम ज्यादा अच्छी तरह ध्यान कर सको – यानि, जहां कही तुम ज़्यादा शांत और चुपचाप रह सको।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
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आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…