मधुर माँ,
यहाँ अपने कमरे में बैठ कर ध्यान करने और सबके साथ खेल के मैदान में ध्यान के लिए जाने में क्या फर्क है ? वहाँ जाकर ध्यान करने और अपने कमरे में ध्यान करने में से कौन-सा ज़्यादा अच्छा है ?
वही बैठ कर ध्यान करो जहां तुम ज्यादा अच्छी तरह ध्यान कर सको – यानि, जहां कही तुम ज़्यादा शांत और चुपचाप रह सको।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…