धैर्य


महायोगी महर्षि श्रीअरविंद

जिस मनुष्य में जीवन और उसकी कठिनाइयों का मुक़ाबला धैर्य और दृढ़ता के साथ करने का साहस नहीं है, वह कभी साधना की और से भी अधिक  बड़ी आंतरिक कठिनाइयों को पार करने में समर्थ नहीं होगा। इस योग का एकदम पहला पाठ यह है कि अचंचल मन से, अटूट साहस तथा भागवती शक्ति पर सम्पूर्ण निर्भरता के साथ जीवन तथा उसकी परीक्षाओं का सामना किया जाए।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र (भाग-२)


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