धर्मक्षेत्र


महर्षि श्री अरविंद का चित्र

सारा जीवन ही धर्मक्षेत्र है, संसार भी धर्म है। केवल आध्यात्मिक ज्ञानलोचना और शक्ति की भावना धर्म नहीं, कर्म भी धर्म है। यही महती शिक्षा सनातन काल से हमारे समस्त साहित्य में  व्याप्त रहीं हैं ।

सन्दर्भ : बंगला रचनाएँ 


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