तुम्हें दो चीजें कभी न भूलनी चाहियें : श्रीअरविन्द की अनुकम्पा और दिव्य मां का प्रेम । इन दो चीजों के साथ तुम शत्रुओं को निश्चित रूप से पराजित करने और चिरस्थायी विजय पाने तक लगातार, धैर्य के साथ युद्ध करते रहोगे ।
बाहर साहस, भीतर शान्ति और भागवत कृपा पर मूक अटल विश्वास ।
सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग – ३)
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