दोनों


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ मीरा अल्फ़ासा का बहुत सुंदर चित्र

एक बार जब गार्गी अपने जन्मदिन पर श्रीमाँ को प्रणाम करने गयी तब वह बोल उठी, “माँ, मैं आपसे सतत और सचेतन रूप से एक होना चाहती हूँ। ” माँ ने विस्मय से कहा, “दोनों?” “हाँ माँ।” श्रीमाँ ने उसका मुख अपने दोनों हाथों में लेकर उसको माथे पर दो बार चूमा ।

संदर्भ : श्रीअरविंद एवं श्रीमाँ की दिव्य लीला 


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