देश को कठिनाई से उबारने के लिए क्या करना चाहिये?
श्रीअरविन्द ने सभी मुश्किलों को पहले से ही देख लिया था और उन्होंने समाधान दे दिया है। हम उनकी शताब्दी के करीब पहुंच रहे है; ऐसा लगता है मानों सब कुछ पहले से व्यवस्थित हो, समझ रहे
हो, मानों, भागवत रूप से व्यवस्थित हो, क्योंकि यह सारे देश में उनकी शिक्षा को फैलाने का एक विलक्षण सुअवसर होगा : उनकी शिक्षा को, व्यावहारिक शिक्षा को, भारत के बारे में उनकी शिक्षा
को, भारत को किस तरह संगठित किया जाये, भारत के ‘मिशन’ को… उनकी शिक्षा को सारे देश में फैलाया जा सकता है ताकि उनके विचार फैलें।
संदर्भ : पहले की बातें
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…