श्रीअरविंद हमसे कहते हैं कि सभी परिस्थितियों में प्रेम को विकीरत करते रहना ही देवत्व का लक्षण है, वह उसे भी प्यार करता है जो उस पर प्रहार करता है और उसे भी जो उसकी उपासना करता है – कैसा पाठ है यह मानवजाति के लिए!
संदर्भ : विचार और सूत्र के प्रसंग में
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