दूर तक उडो


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

भय और संकोच के बिना, हमेशा अधिक ऊंचे, अधिक दूर तक उड़ो!

आज की आशाएं भावी कल की उपलब्धियां हैं।

सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)


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