भगवान हमें जो दु:ख देता हैं उसके चार स्तर होते हैं :
(१) जब वह केवल दु:ख ही होता है ;
(२) जब वह एक ऐसा दु:ख होता है जो सुख उत्पन्न करता है ;
(३) जब वह ऐसा दु:ख होता है जो सुख ही होता है; और
(४) जब वह शुद्ध रूप में आनंद का ही एक प्रखर रूप होता है ।
संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली
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