योगी, सन्यासी, तपस्वी बनना यहाँ का उद्देश्य नहीं है। हमारा उद्देश्य है रूपांतर, और तुमसे अनन्तगुना बड़ी शक्ति के द्वारा ही यह रूपान्तर सम्पन्न किया जा सकता है; यह केवल तभी किया जा सकता है जब तुम दिव्य माँ के हाथों में सचमुच एक बालक बन कर रहो।
संदर्भ : माताजी के विषय में
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