केवल ‘भागवत कृपा’ में अविचल विश्वास और श्रद्धा के साथ पूरी तरह से शांत और निश्चल बने रहने से ही तुम परिस्थितियों को यथासम्भव अच्छे-से-अच्छा पा सकते हो। उन लोगों के लिये हमेशा अच्छे-से अच्छा होता है जो भगवान और केवल भगवान पर ही पूरा भरोसा करते हैं ।
अगर तुम्हारी श्रद्धा दिनादिन दृढ़तर होती जा रही है तो निस्सन्देह तुम अपनी साधना में…
"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…