केवल ‘भागवत कृपा’ में अविचल विश्वास और श्रद्धा के साथ पूरी तरह से शांत और निश्चल बने रहने से ही तुम परिस्थितियों को यथासम्भव अच्छे-से-अच्छा पा सकते हो। उन लोगों के लिये हमेशा अच्छे-से अच्छा होता है जो भगवान और केवल भगवान पर ही पूरा भरोसा करते हैं ।
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…