आपने कहा है कि गलत गति का दमन करने से वह बस दब जाती है, यदि उसे पूरी तरह निकालना हो तो उसे एकदम त्यागना चाहिये । तब फिर क्रोध, काम , भय आदि का दमन करने से क्या लाभ ?
अगर तुम्हारा त्याग सफल न हो तो दमन करना चाहिये। दमन कम-से-कम प्राणिक आवेगों का दास बनाने से बचाता है। एक बार नियंत्रण हो जाये तो सफलतापूर्वक अस्वीकार करना आसान हो जाता है । नियंत्रण के अभाव से सफल त्याग नहीं आता ।
संदर्भ : योग के तत्व
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