दमन और त्याग


श्रीअरविंद अपने कक्ष में

आपने कहा है कि गलत गति का दमन करने से वह बस दब जाती है, यदि उसे पूरी तरह निकालना हो तो उसे एकदम त्यागना चाहिये । तब फिर क्रोध, काम , भय आदि का दमन करने से क्या लाभ ?

अगर तुम्हारा त्याग सफल न हो तो दमन करना चाहिये। दमन कम-से-कम प्राणिक आवेगों का दास बनाने से बचाता है। एक बार नियंत्रण हो जाये तो सफलतापूर्वक अस्वीकार करना आसान हो जाता है । नियंत्रण के अभाव से सफल त्याग नहीं आता ।

संदर्भ : योग के तत्व 


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