हृदय में शांति और मन में प्रकाश से भरपूर, हे प्रभु, हम तुझे अपने अंदर ऐसा सजीव महसूस करते हैं कि हम सब घटनाओं के प्रति प्रसन्नता तथा समता अनुभव करते हैं। हम जानते हैं कि तेरा पथ सर्वत्र है क्योंकि हम इसे अपनी सत्ताके अंदर धारण किये हुए हैं। हम यह भी जानते है कि सब परिस्थितियों में हम तेरे संदेश के वाहक और तेरे कार्य के सेवक बन सकते हैं।
एक स्थिर और पवित्र भक्तिभाव के साथ हम तेरे आगे नतमस्तक होते है और तुझे अपनी सत्ताके एकमात्र सत्यके रूपमें अंगीकार करते हैं।
सन्दर्भ : प्रार्थना और ध्यान
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…
देशभक्ति की भावनाएँ हमारे योग की विरोधी बिलकुल नहीं है, बल्कि अपनी मातृभूमि की शक्ति…