तुम इस समय यहाँ, यानी, धरती पर इसलिए हो क्योंकि एक समय तुमने यह चुनाव किया था – अब तुम्हें इसकी याद नहीं है, पर मैं जानती हूँ – इसी कारण तुम यहाँ हो। हाँ, तुम्हें इस कार्य की ऊँचाई तक उठना चाहिये, तुम्हें प्रयास करना चाहिये , तुम्हें सभी कमज़ोरियों और सीमाओं को जीतना चाहिये : और सबसे बढ़ कर तुम्हें अपने अहंकार से कहना चाहिये : “तुम्हारा समय बीत गया।” हम एक ऐसी जाति चाहते हैं जिसमें अहंकार न हो, जिसमें अहंकार की जगह भागवत चेतना हो। हम यही चाहते है : एक भागवत चेतना जो जाती को विकसित होने और अतिमानस सत्ता को जन्म लेने दे।
संदर्भ : पथ पर
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…