मधुर माँ,
क्या ज्योतिष तथा अन्य विद्याएँ हमेशा ठीक-ठीक भविष्यवाणियाँ करती हैं या मनुष्य अभी तक यह करने में असमर्थ है?
मनुष्य जो कुछ करता है उसके पीछे उसकी अक्षमता तो रहती ही है। केवल वही जो भगवान के बारे में सचेतन हो चुका है और उनका कर्तव्यनिष्ठ यंत्र बन चुका है, वही भूल-भ्रांति से बच सकता है, बशर्ते कि वह केवल भागवत आदेश के अनुसार ही काम करे और उसमें कोई व्यक्तिगत चीज़ न जोड़ दे।
यह कहना पड़ेगा कि यह आसान नहीं है। इसे ठीक तरह से वही कर सकता है जिसमें अहंकार बाक़ी न रहा हो।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…