जीवन को रुचिकर कैसे बनाए ?


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

सदा सीखना, बोद्धिक नहीं मनोवैज्ञानिक रूप से, स्वभाव में प्रगति करना, अपने अंदर गुण पैदा करना और दोष ठीक करना ताकि हर चीज़ हमें अज्ञान और अक्षमता से मुक्त करने के लिए अवसर हो सके – तब जीवन बहुत अधिक रुचिकर और जीने -योग्य बन जाता है ।

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)


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