मैं अनुभव करता हूं कि मैं निष्फल भाग्य के साथ जन्मा आपका शून्य बालक हूं; ऐसे बालक के लिए जीवन में सम्पादित करने के लिए कोई कार्य नहीं है। क्या जगत् से चला जाना ज्यादा अच्छा न होगा?
तुम्हें इसी जगत् में बदलना होगा और परिवर्तन सम्भव है। अगर तुम इस जगत् से भाग जाओगे तो तुम्हें वापिस आना पड़ेगा, शायद अधिक बुरी परिस्थितियों में आना पड़े और तुम्हें सारी चीज फिर एक नये सिरे से करनी पड़ेगी।
तुम्हें इसी जगत् में बदलना होगा और परिवर्तन सम्भव है। अगर तुम इस जगत् से भाग जाओगे तो तुम्हें वापिस आना पड़ेगा, शायद अधिक बुरी परिस्थितियों में आना पड़े और तुम्हें सारी चीज फिर एक नये सिरे से करनी पड़ेगी।
प्रेम और आशीर्वाद।
सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
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