श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

चैत्य को जानना

चैत्य को जानने के लिये तुम्हें अपने प्राण की कामनाओं को जीत लेना और मन को नीरव कर देना चाहिये और फिर भगवान के प्रति निष्कपट समर्पण करना चाहिये जिनका मनुष्य के अन्दर चैत्य एक साधन है।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)

 

शेयर कीजिये

नए आलेख

अकेलापन

तुम अकेलापन इसलिए लगता है क्योंकि तुम प्रेम पाने की आवश्यकता का अनुभव करते हो…

% दिन पहले

अहंकार

हर एक के अंदर अपने अहंकार होते हैं और सभी अहंकार एक-दूसरे से टकराते रहते…

% दिन पहले

सत्य से विच्युत

प्रत्येक व्यक्ति का सोचने, अनुभव करने तथा प्रतिक्रिया करने का अपना निजी तरीका होना ही…

% दिन पहले

सांसारिक जीवन में उचित तरीके से चलने का मार्ग

सांसारिक जीवन संघर्ष का जीवन है - इस पर उचित तरीके से चलने के लिए…

% दिन पहले

सच्चा प्रेम

'सच्चा प्रेम' जो तृष्टि और आलोकित करता है, वह नहीं है जिसे तुम पाते हो,…

% दिन पहले

तीन चीज़ों से परहेज़

जो लोग पूर्णयोग की साधना करना चाहते हैं उन्हें दृढ़ता के साथ यह सलाह दी…

% दिन पहले