चारित्रिक बाधाएँ


महर्षि श्रीअरविंद अपने कक्ष में

प्रत्येक साधक नैसर्गिक रूप से कुछ ऐसी चारित्रिकताएँ लिए होता है जो साधना पथ पर बड़ी बाधा उपस्थित करती है, ये जिद के साथ टिकी रहती हैं। इन्हें पार किया जा सकता है बहुत बहुत समय बाद भी भीतर से दिव्यता की क्रिया के द्वारा …….  ।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र 


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