एक अन्य अवसर पर जब मैगी श्रीमाँ का कमरा साफ कर रही थी, उसने एक खिड़की खोली जो दीर्घकाल से खोली नहीं गई थी। यध्यपि शीशे की चमक से स्पष्ट था कि शिष्यों ने उसे बड़े प्रेम से साफ किया है किन्तु अंदर और बाहर के चौखटों के बीच कुछ धूल एकत्रित हो गयी थी । मैगी बहुत प्रसन्न हुई कि उसने कुछ धूल खोज निकाली है जो अन्य किसी को नहीं मिली थी। वह अपनी चतुराई से इतना प्रसन्न हुई कि उसने खिड़की साफ करने के बाद सिटकनी ठीक प्रकार से बंद नहीं की। उस रात एक तूफान आया और खिड़की धड़ाम से खुल गई। किन्तु श्रीमाँ ने उलाहना देना तो दूर, मैगी से इसकी चर्चा भी नहीं की। मैगी को अन्य लोगों से अपनी असावधानी के विषय में ज्ञात हुआ ।
संदर्भ : श्रीअरविंद और श्रीमाँ की दिव्य लीला
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…