खुली हुई खिड़की


श्रीअरविंद और श्रीमाँ के वचन

एक अन्य अवसर पर जब मैगी श्रीमाँ का कमरा साफ कर रही थी, उसने एक खिड़की खोली जो दीर्घकाल से खोली नहीं गई थी। यध्यपि शीशे की चमक से स्पष्ट था कि शिष्यों ने उसे बड़े प्रेम से साफ किया है किन्तु अंदर और बाहर के चौखटों के बीच कुछ धूल एकत्रित हो गयी थी । मैगी बहुत प्रसन्न हुई कि उसने कुछ धूल खोज निकाली है जो अन्य किसी को नहीं मिली थी। वह अपनी चतुराई से इतना प्रसन्न हुई कि उसने खिड़की साफ करने के बाद सिटकनी ठीक प्रकार से बंद नहीं की। उस रात  एक तूफान आया और खिड़की धड़ाम से खुल गई। किन्तु श्रीमाँ ने उलाहना देना तो दूर, मैगी से इसकी चर्चा भी नहीं की। मैगी को अन्य लोगों से अपनी असावधानी के विषय में ज्ञात हुआ ।

संदर्भ : श्रीअरविंद और श्रीमाँ की दिव्य लीला 


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