सभी खिन्नता और विषाद को विरोधी शक्तियाँ ही पैदा करती हैं, उन्हें तुम्हारें ऊपर उदासी फेंक कर जितनी ख़ुशी होती है उतनी और किसी चीज़ से नहीं होती। नम्रता एक चीज़ है और खिन्नता एक दूसरी ही चीज़। नम्रता एक दिव्य गति है और खिन्नता है अन्धकारमयी शक्तियों की बहुत ही अनगढ़ अभिव्यक्ति।
संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९२९-१९३१
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