श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

कौन योग्य, कौन अयोग्य

‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य?

सभी तो उसी एक दिव्य ‘मां’ के बालक हैं।

‘उनका’ प्रेम उन सब पर समान रूप से फैला हुआ है।

लेकिन ‘वे’ हर एक को उसकी प्रकृति और ग्रहणशीलता के अनुसार देती हैं।

सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)

 

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