तुम्हारे मित्र का यह विचार कि यहाँ से मंत्र मिलना आवश्यक है और उसके लिए उसका यहाँ आना अनिवार्य है,पूरी तरह ग़लत है। इस योग में कोई मंत्र नहीं दिया जाता । यह श्रीमाँ के प्रति चेतना का अंदर से खुलना है, और यही वास्तविक दीक्षा है ; यह केवल अभिप्सा द्वारा और माँ तथा प्राण के अंदर बेचैनी के त्याग द्वारा ही आ सकता है । इसे प्राप्त करने के लिए यहाँ आना उपाय नहीं है ।
संदर्भ : माताजी के विषय में
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…