वर्तमान बढ़ते हुए संघर्ष में हमारी वृत्ति कैसी होनी चाहिये?
‘भागवत कृपा’ में श्रद्धा और पूर्ण विश्वास ।
सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…