कृतज्ञता


श्रीमाँ के वचन

विजय आ गयी है, तेरी विजय, हे नाथ, जिसके लिए हम तुझे अनन्त धन्यवाद देते हैं।

लेकिन अब हमारी तीव्र प्रार्थना तेरी ओर उठती है। तेरी शक्ति द्वारा और तेरी शक्ति से ही विजयी लोगों ने विजय पायी है। वर दे कि वे अपनी सफलता में इसे भूल न जायें और उन्होंने तेरे आगे संकट की तीव्र व्यथा के समय जो प्रतिज्ञाएं की हैं उन्हें वे भूल न जायें। उन्होंने युद्ध करने के लिए तेरा नाम लिया है, वर दे कि वे शान्ति स्थापित करते समय तेरी कृपा को भूल न जायें।

१५ अगस्त, १९४५

सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)


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